आयुर्वेदिक साड़ियां ऐसा हो सकता है कि आपको इस न्यूज़ पर विश्वास करने में थोड़ा समय लगे, परंतु इस संदर्भ में आप जितनी जानकारी पढ़ते जाएंगे आपको इस पर भरोसा होने लगेगा। आयुर्वेदिक साड़ियां, यह नाम सुनकर कुछ ऐसा लगता है कि यह कैसे मुमकिन हो सकता है, परंतु इसमें असंभव मानने वाली कोई बड़ी बात नहीं है। मध्य प्रदेश के हथकरघा उद्योग में ऐसी साड़ियों का निर्माण किया जा रहा है, जो महिलाओं को खूबसूरत दिखाने के साथ-साथ महिलाओं के लिए आयुर्वेदिक साड़ियों का भी कार्य करेंगे। यह पहनने वाली महिला के लिए इम्यूनिटी बूस्टर का भी कार्य करेगी।
आयुर्वेदिक साड़ीयां, बनाने का क्या है उद्देश्य?
मध्य प्रदेश के हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम में ऐसी साड़ियों का निर्माण किया जा रहा है, जो पहनने वाली महिला को इम्यूनिटी पावर प्रदान करने में सक्षम है। इन साड़ियों को अति प्राचीन पद्धति के आधार पर निर्मित किया जा रहा है। इस पद्धति का उपयोग ऋषि-मुनियों के समय से किया जा रहा है। आज के आधुनिक युग में
इस पद्धति का उपयोग बहुत ही कम लोग करते थे, परंतु इस पद्धति से आयुर्वेदिक साड़ियां निर्मित की जाएँगी। आज के समय में इस तकनीक का प्रयोग कपड़ों के रंग को पक्का करने वह डाई करने के लिए भी किया जाता है। परन्तु इन साड़ियों में इस तकनीक का प्रयोग एंटीबेक्टेरियल के रूप में किया जा रहा है।
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आयुर्वेदिक साड़ियां बनाने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां एवं जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है। यही कारण है कि आयुर्वेदिक साड़ियां पहनने वाली महिलाओं के शरीर में फंगल, बैक्टीरियल और कई प्रकार के खतरनाक वायरल इनफेक्शन भी नहीं होंगे। जिससे पहनने वाली महिला और ज्यादा स्वस्थ और सहज दिखेगी।

क्या है आयुर्वेदिक साड़ीयां बनाने की विधि?
आयुर्वेदिक साड़ियों को बनाने हेतु लौंग, बड़ी इलायची, काली मिर्च,और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और इनके साथ साथ अन्य जड़ी बूटियों और मसालों का एक मिश्रण तैयार किया जाता है। इस मिश्रण को सर्वप्रथम पाउडर के रूप में तैयार करके उस पाउडर को एक सूती के कपड़े की पोटली में बांधकर दो-तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रखा जाता है।
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इसके पश्चात उस पानी को एक बड़ी सी भट्टी में खौलाया जाता है, पानी को खौलाते समय उस पानी से जो भाप निकलता है उस भाप में प्रत्येक कपड़ों को घंटों तक पकाया जाता है, जिस कारण कपड़े के प्रत्येक रेशे तक भाप आसानी से पहुंच जाता है। इसके पश्चात उस कपड़े का प्रयोग साड़ी के निर्माण में किया जाता है।
इन आयुर्वेदिक साड़ियों का इस कोरोना कॉल में क्या लाभ हो सकता है?
इस कोरोना काल में यह साड़ियां महिलाओं को कोरोना वायरस के साथ-साथ कई अन्य वायरस से भी बचा सकती हैं। इस साड़ी को पहनने पर कई प्रकार के वायरस आपके साड़ी का उपयोग कैरियर के तौर पर नहीं कर सकते हैं। जिस कारण आपको बार-बार साड़ियों को धुलने में मेहनत भी नहीं करना पड़ेगा।
लेकिन एक बात साफ है की यह साड़ियां हमेशा के लिए आपकी रक्षा नहीं कर सकती हैं। वाष्पीकरण विधि से निर्मित यह आयुर्वेदिक साड़ियां ज्यादा से ज्यादा चार से पांच बार तक आप को लाभ पहुंचा सकती हैं, इसके बाद इनमें से धीरे धीरे एंटीबैक्टीरियल गुण कम होने लगेंगे।
इन साड़ियों की कीमत ₹3000 से लेकर ₹5000 तक के बीच में है। परंतु यह सभी साड़ियां अभी केवल और केवल भोपाल के इंदौर में मृगनयनी स्टोर्स पर बिकने के लिए उपलब्ध है। परंतु जल्द ही यह साड़ियां देश के अन्य राज्यों में भी बिकने के लिए उपलब्ध होंगी।
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